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एनबीटी न्यूज डेस्क : अमेरिका में अडानी ग्रुप के चेयरमैन उद्योगपति गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस ने अडानी पर भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (2200 करोड़ रुपए से ज्यादा) की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से शुरू हुए विवाद के बाद अडानी समूह पर सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का ताजा मामला क्या है, समझते हैं।क्या है पूरा मामला?
US अटॉर्नी ऑफिस ने आरोप में कहा कि अडानी ने अपनी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को सोलर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट्स और कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकायों को 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वत दी है। उन्होंने इस बात को उन अमेरिकी बैंकों और इंवेस्टर्स छिपाया, जिनसे अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे।
अमेरिकी प्रोसिक्यूटर्स का दावा है कि कंपनी के दूसरे सीनियर अधिकारियों ने कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को पैसा देने पर सहमति जताई थी। साल 2021 में बॉन्ड ऑफर कर अमेरिका के अलावा दूसरे इंटरनैशनल इंवेस्टर्स और अमेरिका के बैंकों से फंड जुटाया।
केस US में क्यों?
अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) ने बयान में कहा कि कथित साजिश के तहत अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेशकों से 17.5 करोड़ डॉलर से अधिक जुटाए और एज्यूर पावर का शेयर न्यूयॉर्क शेयर बाजार में लिस्टेड किया। साथ ही, न्यू यॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने अडानी, सागर अडानी, सिरिल कैबनेस और अडानी ग्रीन और एज्यूर पावर से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए हैं।
अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है। चूंकि, प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स का पैसा लगा था और अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है, इसलिए अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ।
किन प्रोजेक्ट्स को लेकर मचा है हंगामा?
अमेरिकी प्रोसिक्यूटर्स के अनुसार, एनर्जी कंपनी के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी हैं। अडानी ग्रीन एनर्जी के कार्यकारी निदेशक सागर अडानी हैं। इसके अलावा, एज्योर पावर के सीईओ रहे रंजीत गुप्ता, एज्योर पावर में सलाहकार रूपेश अग्रवाल अमेरिकी इश्यूअर हैं। अडानी ग्रीन एनर्जी और अमेरिकी इश्यूअर ने सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावाट सोलर एनर्जी उपलब्ध कराने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था।
हालांकि, SECI को सौर ऊर्जा खरीदने के लिए भारत में खरीदार नहीं मिल पाए। ऐसे में खरीदारों के बिना सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था और दोनों कंपनियों के सामने बड़े नुकसान का जोखिम था। इस बीच, अडानी ग्रुप और एज्योर पावर ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनाई।
रिश्वत का बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के अफसरों को मिला?
आरोपों के मुताबिक इन लोगों ने तय किया कि सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वो राज्य बिजली वितरण कंपनियों को SECI के साथ बिजली आपूर्ति समझौते में शामिल होने के लिए तैयार करेंगे। उन्होंने भारतीय अफसरों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का वादा किया, जिसका एक बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को दिया गया।
इसके बाद कुछ राज्य बिजली कंपनियां सहमत हुईं और दोनों कंपनियों से सौर ऊर्जा खरीदने के लिए SECI के साथ समझौता किया। भारतीय ऊर्जा कंपनी और अमेरिकी इश्यूअर ने मिलकर रिश्वत का भुगतान किया। इतना ही नहीं, अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए कोड नामों का इस्तेमाल किया गया।
क्या है पूरा मामला?
US अटॉर्नी ऑफिस ने आरोप में कहा कि अडानी ने अपनी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी को सोलर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट्स और कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकायों को 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वत दी है। उन्होंने इस बात को उन अमेरिकी बैंकों और इंवेस्टर्स छिपाया, जिनसे अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे।अमेरिकी प्रोसिक्यूटर्स का दावा है कि कंपनी के दूसरे सीनियर अधिकारियों ने कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को पैसा देने पर सहमति जताई थी। साल 2021 में बॉन्ड ऑफर कर अमेरिका के अलावा दूसरे इंटरनैशनल इंवेस्टर्स और अमेरिका के बैंकों से फंड जुटाया।
केस US में क्यों?
अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) ने बयान में कहा कि कथित साजिश के तहत अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेशकों से 17.5 करोड़ डॉलर से अधिक जुटाए और एज्यूर पावर का शेयर न्यूयॉर्क शेयर बाजार में लिस्टेड किया। साथ ही, न्यू यॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने अडानी, सागर अडानी, सिरिल कैबनेस और अडानी ग्रीन और एज्यूर पावर से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए हैं।अमेरिकी कानून अपने निवेशकों या बाजारों से जुड़े विदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है। चूंकि, प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स का पैसा लगा था और अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है, इसलिए अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ।
किन प्रोजेक्ट्स को लेकर मचा है हंगामा?
अमेरिकी प्रोसिक्यूटर्स के अनुसार, एनर्जी कंपनी के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी हैं। अडानी ग्रीन एनर्जी के कार्यकारी निदेशक सागर अडानी हैं। इसके अलावा, एज्योर पावर के सीईओ रहे रंजीत गुप्ता, एज्योर पावर में सलाहकार रूपेश अग्रवाल अमेरिकी इश्यूअर हैं। अडानी ग्रीन एनर्जी और अमेरिकी इश्यूअर ने सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावाट सोलर एनर्जी उपलब्ध कराने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था।हालांकि, SECI को सौर ऊर्जा खरीदने के लिए भारत में खरीदार नहीं मिल पाए। ऐसे में खरीदारों के बिना सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था और दोनों कंपनियों के सामने बड़े नुकसान का जोखिम था। इस बीच, अडानी ग्रुप और एज्योर पावर ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनाई।
रिश्वत का बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के अफसरों को मिला?
आरोपों के मुताबिक इन लोगों ने तय किया कि सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वो राज्य बिजली वितरण कंपनियों को SECI के साथ बिजली आपूर्ति समझौते में शामिल होने के लिए तैयार करेंगे। उन्होंने भारतीय अफसरों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का वादा किया, जिसका एक बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को दिया गया।इसके बाद कुछ राज्य बिजली कंपनियां सहमत हुईं और दोनों कंपनियों से सौर ऊर्जा खरीदने के लिए SECI के साथ समझौता किया। भारतीय ऊर्जा कंपनी और अमेरिकी इश्यूअर ने मिलकर रिश्वत का भुगतान किया। इतना ही नहीं, अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए कोड नामों का इस्तेमाल किया गया।
इन लोगों पर लगे हैं आरोप
अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय (न्यू यॉर्क) के अनुसार, रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया है उनमें गौतम एस. अडानी, सागर एस. अडानी, विनीत एस. जैन, रंजीत गुप्ता, सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा, रुपेश अग्रवाल।
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